बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
कलमवीर विचार मंच के संस्थापक कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने काव्यमंचों पर दिनोंदिन बढ़ती गुटबाजी, अवसरवादिता व रचनाओं की मौलिकता पर लगते प्रश्नचिन्हों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया के प्रसार के साथ ही नकली पत्रकारों के साथ साथ नकली कवियों की भी बाढ़ आ गई है। कवियों और लेखकों का समाज ने हर युग में सम्मान किया है और आजकल तो यह जीविकोपार्जन का भी बढ़िया माध्यम है। शायद इसी बात को ध्यान में रखते हुए कुछ नौसिखिए नवोदित कॉपी पेस्ट तो कुछ हिंदी भी ठीक से न लिख पाने वाले पुराने कवि कट पेस्ट की प्रवृत्ति के चलते अपना धंधा चमकाए हुए हैं।
चोरी की रचनाओं के माध्यम से हाथ की सफाई दिखाने और अपने सुरीले कण्ठ के माध्यम से श्रोताओं की तालियां और आयोजकों से मोटा लिफाफा पाने वाले ऐसे सभी लोग देरसवेर बेनकाब भी हो जाते हैं, पर चोरी पकड़े जाने तक वे लोगों का काफी समय और धन बरबाद कर चुके होते हैं। यही नहीं ऐसे मामले बार बार प्रकाश में आने के बावजूद साहित्यिक चोरी का सिलसिला भी अन्य अपराधों की तरह बढ़ता ही जा रहा है जो गहरी चिंता का विषय है। कोई किसी की ग़ज़ल को गीत में ढाल रहा है तो कहीं एक ही हास्य रचना को दो जाने माने कवि अलग अलग मंचों पर अपनी कविता बताकर तालियां बजवा रहे हैं। मंच संचालन करने वाले कुछ कवि अपने समकालीन कवियों की श्रेष्ठ पंक्तियों को उनका नामोल्लेख किए बिना उद्धृत करके यह भ्रम पैदा करने की कोशिश करते हैं कि यह उन्हीं की रचना है।
कवि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने देश के सभी प्रतिभाशाली कलमवीरों व सामर्थ्यवान आयोजकों से आग्रह किया है कि वे इस प्रकार की गतिविधियों में संलिप्त चोरों की पहचान कर उनके मंचीय बाहिष्कार की पहल कर काव्यमंचों की शुचिता बनाए रखने में सहयोग दें।
