बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
शहर के विवेकानन्द नगर में एक नंदी की हालत खराब होने की सूचना पर गौधन सेवा समिति की एम्बुलेंस से नंदी को सांखोल गोउपचार केंद्र लाया गया। पशु चिकित्सकों टी टीम ने देखा कि नंदी के मुंह से लगातार पानी व लार बह रहा है। उन्होंने देखा कि नंदी के पेट का सारा दबाव उसकी छाती पर आ रहा है तथा उसको सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है। इसके बाद नंदी का ऑपरेशन किया गया।
*ऑपेरशन में नंदी के पेट से 150 किलो पॉलीथिन, लोहे का स्क्रेप व सिक्के निकले।*
इसके पश्चात पशु चिकित्सक डॉ. राहुल भारद्वाज(वीएस) ने उनकी टीम के वीएलडीए रविन्द्र कुमार, रमेश, कृष्ण व ओम प्रकाश के सहयोग से नंदी का ऑपरेशन शुरू किया। करीब पांच घंटे चले इस सफल ऑपेरशन में नंदी के पेट से 150 किलो पॉलीथिन, लोहे की स्क्रेप व सिक्के निकले। इस तरह नंदी की जान बचा ली गई।
पशु चिकित्सक डॉ. राहुल भारद्वाज(वीएस) ने बताया कि अगर इस नंदी को समय पर गौधन सेवा समिति के उपचार केंद्र में नहीं लाया जाता तो कुछ समय पश्चात यह नंदी सड़क पर ही दम तौड़ देता।
*गोवंश की आंतों में फस जाती है पॉलीथिन, तिल-तिलकर मरते हैं गोवंश।*
पशु चिकित्सक डॉ. राहुल भारद्वाज ने बताया कि पॉलीथिन तो गोवंश की आंतों के लिए इस कदर जानलेवा है कि इन्हें तिल-तिलकर मारने जैसा काम करती है। पॉलीथिन गोवंश की आंतों में फंस जाती है। इससे इनका समूचा पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है। इनके द्वारा खाया जाने वाला चारा पच नहीं पाता। शरीर में पॉलीथिन की संख्या बढ़ने के साथ-साथ इनका पेट फूलता रहता है, जो अंत में इन गोवंश की असमय मौत का कारण बनता है।
*पॉलीथिन का उपयोग बंद कर बेसहारा गोवंश के लिए हरे चारे की व्यवस्था में सहयोग करे आमजन।*
गौधन सेवा समिति के प्रधान रमेश राठी ने बताया कि हमारे द्वारा खाने की चीजों को पॉलीथिन में बांधकर सड़कों पर फेंक दिया जाता है। बेसहारा भूखा गोवंश पॉलीथिन समेत इन खाने की चीजों को खा जाते हैं। इस प्रकार धीरे-धीरे इन गोवंशों के पेट में यह पॉलीथिन बढ़ती जाती है और अंत में इनकी मौत का कारण बन जाती है। राठी ने लोगों से अपील की कि वे खाने की चीजों को पॉलीथिन में बांधकर ना फेंके। पॉलीथिन के प्रयोग को अपने जीवन में पूरी तरह बंद करदे। इसके अलावा बेसहारा गोवंश के लिए हम सभी को हरे चारे की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि भूखे बेसहारा गोवंश कूड़ा-कर्कट ब पॉलीथिन खाने को विवश ना हो। समिति सचिव बिजेन्द्र राठी ने बताया कि प्राचीन समय से ही हमारे देश में हर घर में पहली रोटी गोवंश की बनाई जाती थी। परन्तु धीरे-धीरे हम अपनी इस परंपरा को भूल रहे हैं। अगर हर घर से एक रोटी गोवंश के लिए निकाली जाये तो बेसहारा गोवंश भूखा नहीं रहेगा।
