बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी के निर्माण के लिए हो रहे ज़मीन अधिग्रहण में अपनी ज़मीन के उचित मुआवज़े की मांग पर लम्बे समय से भारत भूमि बचाओ संगर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसानो को आखिरकार बड़ी सफलता मिली है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता व समिति के अध्यक्ष रमेश दलाल ने बताया की किसानो की शिकायत है की ज़मीन अधिग्रहण में मुआवज़े के लिए अवार्ड घोषित करने में अधिकारियों ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है जिसके कारण किसानो की ज़मीन कोडियो के भाव ली जा रही है। इसी बात को लेकर किसान लम्बे समय से अवार्ड में सुधार की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। किसानो ने न्याय ना मिलने की स्थिति में 11 जून से रेल व दिल्ली-गुरुग्राम नहर रोकने तथा हरियाणा बंद की चेतावनी दी हुई थी। लेकिन सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए किसानो के प्रतिनिधि मंडल को वार्ता का न्योता दिया था जिसके बाद किसानो ने रेल व नहर रोको तथा हरियाणा बंद का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था।
आज रमेश दलाल के नेतृत्व में किसानो का प्रतिनिधि मंडल सरकार के साथ उच्च स्तरीय मीटिंग के लिए परिवहन भवन पहुंचा था। लम्बी चली वार्ता में आखिरकार इस बात पर किसानो, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह व् एन.एच्.ए.आई अधिकारियों के बीच में यह सहमति बन गई की किसानो के हित में घोषित अवार्ड में सुधार किया जाना चाहिए। रमेश दलाल ने वार्ता के बाद पत्रकारों को बताया की केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्य सरकार को कहा है कि यह राज्य सरकार का मामला है क्योकि केंद्र सरकार राज्य सरकार से ज़मीन लेती है। ऐसे में राज्य सरकार को अवार्ड की घोषणा से पहले परिक्रिया में कानून का पालन करना चाहिए था तथा अवार्ड में सुधार करना ना सिर्फ राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है बल्कि उनकी जिम्मेदारी भी है। अतः राज्य सरकार अवार्ड में हुई गलती को सुधार कर अवार्ड को रिवाइज करे और फिर हमारे पास भेजे।
किसान नेता रमेश दलाल का कहना है की यह देश भर के किसानों की बड़ी जीत हुई है क्योंकि उच्च स्तरीय मीटिंग में पहली बार किसानो के हित में अवार्ड रिवाइज़ करने का फैसला हुआ है। अब से पहले सिर्फ सरकार के हित में ही अवार्ड में सुधार किया जाता रहा है। ज़मीन अधिग्रहण के मामले में अवार्ड घोषणा से पूर्व कानूनी प्रक्रिया का पालन ना करने के कारण पूरे देश के किसानों का लगभग दो लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है। एन.एच्.ए.आई के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए रमेश दलाल ने बताया कि किसान के उचित मुआवज़े के लिए अवार्ड में सुधार करना तो दूर, अगर किसी किसान के पास एन. एच्.ए. आई का कुछ पैसा ज्यादा चला जाता था तो उस किसान पर एफ.आई.आर दर्ज कर व उसकी गिरफ्तारी करने के उदहारण है। इसके बाद सरकार अवार्ड को रिवाइज कर, किसानो से पैसे की रिकवरी करती है। पहली बार किसानो को कम पैसा मिलने के कारण अवार्ड में सुधार करने का वायदा किया गया है। रमेश दलाल ने कहा की किसानो को यह सफलता बहुत संगर्ष और बलिदान के बाद मिली है क्योकि किसान पिछले 6 महीने से सड़को पर आंदोलन कर रहे थे और इस बीच दादरी के एक किसान साथी अनूप सिंह ने परेशान हो कर आत्महत्या भी कर ली थी।
रमेश दलाल ने यह भी बताया की मीटिंग में सहमति बनाने के लिए कई बार तीखी नोकझोक हुई व् उन्हें अपनी मांगो पर अड़ना पड़ा। जब उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया की हम सिर्फ और सिर्फ अवार्ड के सुधार पर ही मानेंगे तथा किसी प्रकार का कोई और फार्मूला हमे मान्य नहीं होगा, तब अंत में जा कर अवार्ड सुधार पर सहमति बनी।
रेल रोको कार्यक्रम के बारे में सवाल पूछे जाने पर रमेश दलाल ने कहा की वार्ता के दौरान सरकार के साथ कुछ सहमति बनती हुई लग रही है इसलिए हम सरकार को कुछ समय देने पर विचार करेंगे। अगर सरकार ने किसानो के साथ धोखा किया तो न हम सिर्फ पहले से तय किये गए 29 पॉइंट्स पर रैलो को रोकेंगे बल्कि दिल्ली-गुरुग्राम जाने वाली नहर का पानी भी रोका जायेगा। किसानो ने अनिश्चित काल के लिए हरियाणा बंद की भी चेतावनी दी है।
किसानो के प्रतिनिधि मंडल में रमेश दलाल के साथ अनूप सिंह खातीवास, विनोद मोड़ी, अनिल लजवाना कलां तथा अजीत नंदगढ़ मौजूद रहे।
फ़ोटो कैप्शन: वार्ता के बाद पत्रकारों से बात करते किसान नेता रमेश दलाल।