बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
ज़मीन अधिग्रहण के उचित मुआवज़े के लिए संघर्ष कर रहे छारा गांव के किसानों की आखिरकर जीत हुई है। रमेश दलाल के नेतृत्व में हो रहे इस किसान आंदोलन में काफी नाटकीय मोड़ आए। पिछले 30 दिन से चल रहे इस आंदोलन में कभी किसानों की जीत होती दिखी तो कभी विभिन्न अड़चनों के कारण मामला लटकता दिखा। 17 फरवरी को महापंचायत कर किसानों ने ऐलान किया था कि अगर 22 फरवरी तक न्याय नही मिला तो 23 फरवरी से आंदोलन के नेता रमेश दलाल भूख हड़ताल पर बैठेंगे व उसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग, दिल्ली भटिंडा रेलवे लाइन व गुरुग्राम नहर को रोकने का काम किया जाएगा। किसानों की चेतावनी का असर दिखा व 22 फरवरी को रमेश दलाल व अधिकारियों के बीच लंबी चली वार्ता में मुआवज़ा को बढ़ाने के फैसले पर मोहर लग गई व छारा गांव के कलेक्टर रेट में सुधार कर 40 लाख प्रति एकड़ कर दिया गया था। इस रेट के हिसाब से छारा गांव को ज़मीन अधिग्रहण में लगभग एक करोड़ 11 लाख प्रति एकड़ मुआवज़ा मिलना तय हुआ था। इसके तुरंत बाद, मामले को जल्दी निपटाने के लिए, ज़िला राजस्व अधिकारी (डी.आर.ओ) श्री मनबीर सांगवान ने छारा गांव को बढ़ा हुआ मुआवज़ा देने के लिए 87,88,06,425/- रुपये की मांग करते हुए एन.एच.ऐ.आई को पत्र भी लिखा दिया था।
ऐसे समय मे जब किसानों को लग रहा था कि वह इस लड़ाई को जीत चुके है तब एन.एच्.ए.आई व केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने बढे हुए मुआवज़े पर असहमति दर्ज कर मामले को दोबारा लटका दिया। अधिकारियों ने न्यायालय का हवाला देते हुए कहा मुआवज़े में अधिकतम 4-5 लाख की ही बढ़ोतरी हो सकती है। इस बदलते घटनाक्रम में किसानों ने फिर कमर कसी व अपनी लड़ाई को जारी रखा। जहां एक तरफ किसानों ने धरनास्थल पर मोर्चा संभाले रखा व दूसरी तरफ रमेश दलाल केंद्रीय मंत्री व अधिकारियों से मिल लगातार प्रयास करते रहे।
रमेश दलाल ने किसानों के पक्ष के काफी कानूनी दस्तावेज़ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को सौंपे व उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराया कि कैसे उनके मंत्रालय के कुछ अधिकारी इस मामले को नया रूप देकर किसानों को भारी नुकसान पहुंचाना चाहते है। श्री गडकरी ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए न्याय का विश्वास दिलाया था। इतने उतार-चढ़ाव के बाद आखिरकार श्री गडकरी के हस्तक्षेप से उच्च अधिकारियों के समूह ने संयुक्त बैठक में जिला अधिकारियों द्वारा बढ़ाए गए मुआवज़े पर सहमति की मोहर लगा दी है। रमेश दलाल ने बताया कि अब औपचारिकता मात्र बची है व एन.एच्.ऐ.आई ने ज़िला राजस्व अधिकारी को अनुमोदन पत्र भेज दिया है व जल्द ही बढ़े हुए मुआवज़े के अनुसार 1 करोड़ 11 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से अवार्ड घोषित कर दिए जाएंगे। गौरतलब है कि उच्च अधिकारियों द्वारा निर्णय आचार संहिता लगने से पहले ही ले लिया गया है इसलिए इस मामले की सभी प्रक्रिया आचार संहिता के दायरे से बाहर रहेंगी।
इस जीत से धरनास्थल पर आज खुशी का माहौल नज़र आया। पिछले 30 दिन से बदलते मौसम में न्याय के इंतज़ार में सड़क पर बैठे किसानों ने लड्डू बांट कर खुशी मनाई। धरने पर बैठे किसानों ने आंदोलन के नेता रमेश दलाल की तारीफ करते हुए कहा कि इस जीत में रमेश दलाल के कुशल नेतृत्व व कानूनी सूझबूझ का सबसे बड़ा योगदान रहा है। वही रमेश दलाल का कहना है कि यह भाईचारे व किसानों की संगठन शक्ति व एकता की जीत है। जल्द ही अवार्ड घोषणा के बाद पंचायत से सलाह कर धरने का समापन किया जाएगा।
किसानों की ऐतिहासिक जीत के दिन आज धरनास्थल पर मटरू प्रधान, चिंटू प्रधान, कुलदीप पूर्व ब्लॉक समिति सदस्य, रमेश, भीम, बलवान, धर्मे कटेल आदि मौजूद थे।
फ़ोटो 1: धरनास्थल पर किसानों के साथ जीत की खुशी मनाते रमेश दलाल