बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
ज़मीन अधिग्रहण का उचित मुआवज़ा न मिलने के कारण पिछले 11 दिनों से चल रहे छारा गांव के किसानों के धरना में आज एक नया मोड़ आ गया। आज सुबह सरपंचों, ज़िला परिषद व ब्लॉक समिति के मेम्बरों और क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों की पंचायत धरनास्थल पर हुई। कैप्टन मान सिंह की अध्यक्षता में हुई इस पंचायत ने बड़ा कदम उठाते हुए युद्धवीर मलिक पर मानहानि व अन्य कानूनी करवाई करने का फैसला लिया है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे रमेश दलाल को पंचायत ने युद्धवीर मलिक पर आगे की करवाई करने के लिए अधिकृत किया है। युद्धवीर मलिक (आई.ए.एस), NHAI के प्रमुख है व केंद्रीय परिवहन मंत्रालय में सचिव है। रमेश दलाल ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 06-02-2019 को सांसद दीपेंदर हूडा ने धरनास्थल से किसानों कि उचित मुआवज़े की मांग को लेकर युद्धवीर मलिक को फ़ोन मिलाया था। जिसके जवाब में युद्धवीर मलिक ने छारा गांव पर टिप्पणी करते हुए कहा “छारा गांव की तो झोली पाट री है”। यह पूरी वार्तालाप स्पीकर फ़ोन पर हो रही थी इसलिए युद्धवीर मलिक द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को धरने पर बैठे सभी किसानों ने सुना। रमेश दलाल ने बताया कि उसके बाद सांसद हूडा ने फ़ोन मुझे दे दिया। मेरे से फ़ोन पर हो रही बातचीत में फिर से युद्धवीर मलिक ने उन आपत्तिजनक शब्दो को दोहराया।
उसके बाद जब किसानों का प्रतिनिधि मंडल रमेश दलाल के नेतृत्व में कल केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलने गया तो वहां भी मीटिंग में पहले तो युद्धवीर मलिक ने मंत्री को गुमराह करने की कोशिश की फिर बाद में छारा गांव के बारे में फिर से ऐसी भाषा का उपयोग किया। इस सारे घटनाक्रम से छारा व आसपास के किसान क्रोधित है। रमेश दलाल का कहना था कि एक तो अधिकारी किसानों के साथ अन्याय कर रहे है ऊपर से हमारे गांव देहात के बारे में ऐसी भाषा बोल कर हमें बेज्जत किया जा रहा है। पंचायत में मौजूद हर व्यक्ति ने एक स्वर में कहा कि युद्धवीर मलिक को ऐसे निम्नस्तर बयान के लिए बख्शा नही जाएगा। पंचायत ने एकजुटता से फैसला लिया है कि मलिक के खिलाफ छारा गांव के बारे में ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर मानहानि का केस किया जाएगा। पंचायत ने रमेश दलाल को कानूनी करवाई करने के लिए अधिकृत किया है।
रमेश दलाल ने यह भी बताया कि यह सिद्ध हो चुका है इस पूरे मामले में युद्धवीर मलिक का ही हाथ है। युद्धवीर मलिक ही डी.आर.ओ व अन्य अधिकारियों पर दबाव बना रहे है कि कानूनी प्रावधानों की अनदेखी कर छारा गांव को कम मुआवज़ा देने का काम करें। दलाल का कहना था कि आज नही तो कल सरकार को उचित मुआवज़े की मांग को मानना पड़ेगा क्योंकि हर कानूनी प्रावधान किसानों के पक्ष में है।
वही दूसरी तरफ आज पड़ोस के गांव गिरावड के किसान भी आंदोलन में शामिल होने के लिए धरनास्थल पहुंचे क्योकि गिरावड के ज़मीन अधिग्रहण रेट में भी गड़बड़ी के पुख्ता सबूत मिले है। गिरावड गांव के किसानों ने कहना था कि अब हमें भी उम्मीद जगी है कि छारा गांव के साथ साथ हमारे साथ भी न्याय होगा। गिरावड से जीवन नंबरदार, रत्न, सुखबीर, रामकिशन, मेहर सिंह, रणधीर, श्री कृष्ण, लक्ष्मण, प्रकाश, खजान सिंह, सुरेंदर, रामबीर इत्यादि समर्थन देने के लिए धरनास्थल पर आए थे। छोछी गांव के सरपंच बलवान भी आंदोलन का समर्थन करने के लिए धरनास्थल पहुंचे।