बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
बीती शाम भिवानी के दो युवा कवियों के नाम रही। कलमवीर विचार मंच द्वारा सेक्टर नौ स्कास यशकीर्ति के अलावा भिवानी के ही पंकजोम प्रेम ने अनेक गीत, मुक्तक व ग़ज़लें सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। देर शाम तक चले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता गीतकार कृष्ण गोपाथित काव्यकुंज में आयोजित गोष्ठी में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भिवानी के युवा रचनाकार विल विद्यार्थी ने की।
सरस्वती वंदना से शुरू हुए इस कार्यक्रम में पंकजोम ने श्रंगार रस की कई रचनाएं सुनाईं। उनका यह शेर बेहद पसंद किया गया-
हाले दिल कह दे मुझे बांहों में आकर
खामोशी इस मसअले का हल नहीं है
विकास यशकीर्ति ने एक के बाद एक कई खूबसूरत ग़़ज़लें सुनाईं। उनकी ताज़ा ग़ज़ल के इन शेरों को खूब दाद मिली-
रख के सर रोने को मुझको एक कांधा न मिला
मर गया तो एकदम ही चार पैदा हो गये
हिस्सेदारी क्या हुई मेरी ज़रा सरकार में
दुश्मनों की बस्तियों में यार पैदा हो गये
उन्होंने बेटियों को समर्पित मुक्तक सुनाए तो श्रोताओं ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया। गीतकार विद्यार्थी ने भी अपने नये ग़़ज़ल संग्रह की चुनिंदा ग़ज़लें सुनाकर सबको भावविभोर किया। उनका यह मुक्तक काफी सराहा गया-
फूलों की ख्वाहिश में जंगली घास ने मारा मुझे
दूर तक पानी था लेकिन प्यास ने मारा मुझे
आपने तो साथ चलकर फर्ज पूरा कर दिया
मैं अकेला हूं इसी अहसास ने मारा मुझे
उनके अध्यक्षीय संबोधन के साथ ही यह गोष्ठी संपन्न हुई।
