बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
कहते है न कि नीम का पत्ता जमीन के जिस हिस्से में गिरा, वह फंगस से मुक्त हो गया। कीटों ने भी वहां का रास्ता छोड़ दिया। यह गुणकारी पेड़ जिस जगह लगा हुआ होता है, आसपास के पेड़ पौधों का भी जीवन बीमारियों से सुरक्षित हो जाता है। मगर नीम बहुत कम घरों तक पहुंच पाया है। झज्जर जिले में नीम के पौधे के लिए मौसम बहुत अनुकुल है। पहले दो साल पौधे की देखभाल व बचाव की जरूरत होती है। उसके बाद पौधा स्वयं ही पल जाता है और पेड़ में बदल कर लाभ की वर्षा करवाता है। नीम गुणों का खजाना है। इसलिए जागरूकता तभी आएगी जब सामाजिक संस्थाए भी अपना सकारात्मक सहयोग दें। जिन लोगों के घरों में जगह है उनको अपने घरों मेें नीम का पेड़ लगाना चाहिए। किसानों को अपने खेतों में नीम लगाने चाहिए। वन विभाग को सड़कों के किनारे अधिक से अधिक नीम के पौधे लगाने चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में झज्जर जिले में विकास के नाम पर नीम के पौधों की अंधाधुंघ कटाई हुई है। शहरों के पार्कों में भी नीम की जगह सजावटी पौधों को अधिक महत्व दिया जा रहा है। गांवोंं की पंचायती भूमि में प्लाट कटने से अधिकतर गावों से नीम के पेड़ों से आने वाली कोयल की कूक व ठंडी छाव दोनो ही गायब होते जा रहे हैं।
—— दवाई से लेकर खाद तक में होता है नीम का प्रयोग—-
1. नीम की दातून करने से दांत मजबूत व चमकदार होते हैं।
2. नीम के पत्तों के सेवन से रक्त साफ रहता है।
3. पेट से जुड़ी परेशानिया दूर रहती हैं।
4. दाद, खुजली, फंगस से नीम का तेल निजात दिलाता है।
5. नीम का जूस शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालता है।
6. माना जाता है कि नीम कैंसर के जीवाणु से भी लड़ता है।
7. नीम चर्म रोगों को ठीक करता है।
8. नीम में मौजूद तत्व ब्लड में शुगर को नियंत्रित करता है।
9. अनेकों प्रकार की दवा में नीम का इस्तेमाल हो रहा है।
10. खेतों के लिए नीम रामबाण है। इसके घोल के छिड़काव से पौधे को कीट नहीं लगते हैं।
11. नीम की खाद भी बनने लगी है, जोकि खेतों के लिए बेहतर मानी गई है।
क्या कहते हैं जिला वन अधिकारी: इस बारे में जब जिला वन अधिकारी श्याम सुन्दर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा नर्सरियों में अन्य पौधों की बजाय नीम के पौधे अधिक तैयार किये जा रहे हैं। विभाग द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 71 पर भी नीम के काफी पौधे लगाये हैं। नीम के बड़े पेड़ों की घटती संख्या का कारण वन अधिकारी ने जिले में पिछले कुछ वर्षों में सड़़कों के निर्माण कार्य को भी बताया। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों मेंं झज्जर जिले मे कई मुख्य सड़कों को चौड़ा किया गया। जिसके चलते नीम व अन्य बड़े पेड़ों को काटना पड़ा। उन्होंने जिले के शहरी क्षेत्र में पार्क व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नीम की घटती संख्या का कारण स्थानीय लोगों का जागरूकता की कमी बताया। जिला वन अधिकारी श्याम सुन्दर ने बताया कि शहरी क्षेत्र में जागरूकता के अभाव में पार्कों व अन्य सार्वजिक स्थानों पर लगाए गए नीम के पौधों की टहनियां दातुन के लिए तोड़कर पौधों को बढऩे नहीं दिया जाता और अंत में पौधा सूख जाता है।
