बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
शिवपुराण में धर्म की परिभाषा का जीवन का सदाचार होना, हृदय में सद्भाव से भरी सात्विक भक्ति तथा बुद्धि का विवेकी होना और मन का निर्विकार हो जाना है। मत मजहब के नाम पर उन्मादी हो जाना नहीं। केवल हम क्रियाकांड में ही धार्मिकता की चादर ना ओढ़ें अपितु हमारे भाव, हमारी पूजा विधि भी तदनुरूप हो जानी चाहिए अन्यथा हम समाज को तो धोखा दे ही रहे हैं, उससे अधिक कहीं स्वयं को भी दे रहे हैं। यह बात संकट मोचन श्री शिव हनुमान मंदिर के वार्षिकोत्सव पर श्री हरदिल मिलाप सभा (रजि.) द्वारा करोड़ भवन में आयोजित तीन दिवसीय शिवपुराण कथा के शुभारंभ अवसर पर हुए पूज्य गुरूदेव गीता ज्ञानेश्वर डॉ.स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने श्रद्धालुओं को कथा सुनाते हुए कही।
स्वामी दिव्यानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को बताया कि मनोवृत्ति यदि वासनाआअें से भरी है तो कैसी उपासना और कैसी। सफर में कपड़े भी महंगे-महंगे और सुंदर हो सड़क भी अच्छी हो, जूते भी 50 हजार वाले डाल रखे हों किंतु यदि उन जूतों में दो-चार कंकर आ जाएं तो सारा सफर किरकिरा हो जाता है। लोगों को भले ही लगे, आप बहुत अच्छे से जा रहे हो, किंतु कुछ ही समय बाद हमारी बेचैनी सभी को बता देगी। कुछ इसी प्रकार हमारी धार्मिक पाठ पूजाएं और उत्सव भी हैं। यूं दूर से देखने पर हम सभी को कितने भक्त लगते हैं, व्रतों के नाम पर तपी-जपी लगते हैं किंतु यदि कोई केवल हमारा कर्मकांड ही न देखे वासना से भरे मन को भी देख ले तो सिवाए धोखा के और कुछ भी नहीं। हमें हमारा ही जीवन बता देगा कि हम आखिर कितने सुखी हैं। सत्संग में पूज्य गुरूदेव गीता ज्ञानेश्वर डॉ.स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने कहा कि केवल बाहर की क्रियाएं नहीं भीतर का स्वभाव भी धार्मिक बाहर गिआन धिआन इसनान अंतर विआपै लोभ सुआन!!Ó क्या हमें सोचना नहीं चाहिए कि जिन शिव के हम उपासक हैं, उन शिव ने शमशान को भी ठाठ से रहने का मकान बना लिया और एक हम हैं जो अच्छे भले मकान में भी चिंता की आग में जले जा रहे हैं? आखिर वह क्या सम्पत्ति है आत्म संतुष्टि की जो शिव के पास है और हमारे पास सब कुछ होते हुए भी वही संतुष्टि की सम्पत्ति नहीं है। शिवपुराण श्रवण की यही महिमा है। जिस माध्यम से शिव तत्व को जानकर हम आत्म संतुष्टि जैसे परम धन को उपलब्ध हो जाएंगे। आज कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से हुआ। यजमान के रूप में महेश काठपालिया, महेश मलिक, साहिल सन्नी चावला, दिनेश नागपाल तथा रमेश राठी ने महाराज जी से आशीर्वाद लिया। सत्संग में पहले दिन काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिवपुराण कथा सुन पुण्य कमा|
