बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
निष्पक्ष हिंदी पत्रकारिता लोकतंत्र की जड़ों को पोषित करने जैसा है। हिंदी भाषा आम आदमी की अभिव्यक्ति का सबसे सरल और सहज माध्यम है। यह बात सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग, हरियाणा के उप-निदेशक नीरज कुमार ने कही। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद महाविद्यालय द्वारा हिंदी पखवाड़ा के समापन पर ”वर्तमान समय मे हिंदी” विषय पर एक दिवसीय वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। वेबिनार का संयोजन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. राकेश कुमार ने किया। मुख्य वक्ता नीरज कुमार ने वर्तमान समय में हिंदी की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोरोना के कारण पिछले पाँच-छह महीनों में जिंदगी बहुत तेजी से बदली है। कभी-कभी विपरीत परिस्थितियाँ भी जीवन जीना सीखा देती है। उन्होंने बताया की भाषा ने हमें सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक हर रूप से जोड़ने का काम किया है। हमारी मातृभाषा सर्वोपरी है भाषा वो कड़ी है जिससे हमारा सामाजिक ताना- बाना मज़बूत रहता है। भारत जैसा शायद ही कोई देश है जो भाषाई विविधता में हमारे देश की बराबरी कर सके। उन्होंने कहा इसके बावजूद आजादी के 70 वर्ष बाद भी हमें हिंदी भाषा के विषय को लेकर ई-संगोष्ठी करनी पड़ रही है तो ये कहीं ना कहीं हम सबके लिए एक चिंतन का विषय भी है।
हिंदी हमारे काम-काज की आम आदमी की भाषा है उसका सम्मान होना जरूरी है। हरियाणा सरकार ने भी निचली अदालतों के कामकाज में हिंदी भाषा के प्रयोग को लेकर विधेयक पारित किया है।
उन्होंने कहा इस बात में भी कोई दोराय नहीं कि भारतीय सिनेमा का भी हिंदी प्रसार में बड़ा योगदान है। सोशल मीडिया के माध्यम से आज पूरा विश्व एक-दूसरे से जुड़ा है संचार के सबसे लोकप्रिय साधन सोशल मीडिया ने हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक समय था जब सोशल मीडिया पर लोग सिर्फ अंग्रेजी का प्रयोग करते थे। लेकिन अब सोशल मीडिया पर भी हिंदी का प्रभाव खूब नज़र आता है। हिंदी के कवि गुलजार , कुमार विश्वास इनको खूब पढ़ा जाता है तो ये कहीं ना कहीं हिंदी के लिए शुभ संकेत भी हैं।
इससे पूर्व वेबिनार के प्रथम सत्र में डाॅ. राकेश कुमार ने हिंदी को आजादी की लड़ाई से जोड़ते हुए बताया की आजादी से पहले पत्रकारिता अपने शिखर पर थी। भारत को आज़ाद कराने में हिंदी की भूमिका बहुत अहम रही है। स्वतंत्रता संग्राम के भीष्म पितामाह महात्मा गांधी जी का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि गांधी जी कहते थे भाषा बिना आदमी गूंगा है साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जिन देशों ने भी अपनी भाषा को अपनाया उसने उन्नती की चाहे वो जर्मनी या जापान हो।
अंत में उन्होंने हिंदी पत्रकारिता के संदर्भ में बताया कि ”भारत दर्शन करने जैसा है हिंदी पत्रकारिता”। वेबिनार के अंत में हिंदी विभाग के प्रभारी डाॅ. सुभाष चंद्र डबास ने धन्यवाद ज्ञापन कर संगोष्ठी का समापन किया। इस वेबिनार में डॉ. नीलम ऋषिकल्प , डॉ. अर्चना शर्मा व हिंदी विभाग के अन्य प्रोफ़ेसर भी मौजूद रहे वहीं पत्रकारिता विभाग से डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. अटल तिवारी व अन्य शिक्षकों के अलावा हिंदी और पत्रकारिता विभाग के तमाम विद्यार्थी इस वेबिनार में उपस्थित रहे।
