बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाली संस्था मोक्ष ने मानवता की सेवा की अनूठी मिसाल कायम की है। विपरीत परिस्थितियों में भी मानवता की मिसाल कायम रखने वाली मोक्ष लावारिस लाशों की सच्ची वारिस बनकर हमारे सामने है। मंगलवार को समिति द्वारा 300 वें लावारिस शव का अंतिम संस्कार किया गया। समिति सदस्य अनजान लोगों को अपना मानकर अंतिम संस्कार के लिए मोक्षधाम तक ही नहीं पहुंचाते, बल्कि उनकी अस्थियां भी गंगा में विसर्जित करते हैं।
दुनिया में ऐसे दिलदारों की कमी नहीं है, जो खुद के लिए नहीं औरों के लिए जीते हैं। उनकी हर कोशिश समाज को ऑक्सीजन देती नजर आती है। लोग भले ही जमीन-जायदादों का वारिस बनकर गर्व करते होंगे, लेकिन बहादुरगढ़ के दर्जनभर युवाओं को लावारिस लाशों का वारिस बनने में ज्यादा सुकून मिलता है। संस्था के सदस्य मंगलवार तक 300 लावारिस लाशों का दाह संस्कार कर चुके हैं। मोक्ष समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र चुघ के अनुसार वे लाशों का लावारिस नहीं समझते, इसीलिए विधि विधान से संस्कार कर मृत आत्मा की शांति के लिए अंतिम संस्कार करती है। समिति महासचिव रवींद्र राठी ने बताया कि 9 नवंबर 2011 को संस्था मोक्ष अस्तित्व में आई थी। पहली बार 14 नवंबर को अज्ञात शव का रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार करने के बाद अब तक संस्था के द्वारा 300 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है। समिति सचिव सुमित मीणा का मानना है कि आमतौर पर किसी की अंतिम यात्रा में कंधा देने वालों की कमी नहीं रहती हैं, लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जिनकी अंतिम यात्रा में कोई अपना शरीक नहीं होता है। ऐसे लोगों को अपना मानते हैं मोक्ष के सदस्य। समिति उपाध्यक्ष सुरेश मेहरा और श्याम प्रजापत के अनुसार इस काम को वे पूरी सेवा भावना से करते हैं। जिसका भरा-पूरा परिवार है, उसके साथ तो तमाम लोग हैं, लेकिन जिनका कोई नहीं होता, उनकी अंतिम यात्रा पूरी कराना उन्हें काफी सुकून देता है। समिति के वरिष्ठ सदस्य रजनीश उर्फ रिंकू सेतिया, ज्ञानचंद संजू, ऋषिराज, नीरज बंसल, वीरेंद्र वत्स, सचिन दीक्षित, बिजेंद्र प्रजापति, सचिन मित्तल, नीरज वत्स, देवराज पंवार, सतपाल सिंह और नवीन आदि के अनुसार उनका सदैव प्रयास रहता है कि लावारिस शवों का सम्मानजक अंतिम संस्कार हो सके। समिति द्वारा नियमित रूप से इनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की भी जिम्मेदारी निभाई जाती है। मोक्ष के सभी सदस्य मानते हैं कि जब कोई लावारिस पैदा ही नहीं हुआ तो लावारिस होकर मरे भी क्यों?
फोटो कैप्शन
राम बाग में एक अज्ञात शव का संस्कार करते मोक्ष के सदस्य।