बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
इस्माइलाबाद कुरुक्षेत्र से कोटपूतली राजस्थान के बीच निर्माण हो रहा राष्ट्रिय राजमार्ग 152 डी हरियाणा के आठ ज़िलों व् लगभग दो सौ गाँव से गुज़रेगा। राष्ट्रिय राजमार्ग के निर्माण के लिए हो रहे ज़मीन अधिग्रहण में किसानो एक बड़ी खुशखबरी मिलने जा रही है। यह बात किसान नेता रमेश दलाल ने बहादुरगढ़ में पत्रकारों से बात करते हुए बताई। गौरतलब है की रमेश दलाल ने नेतृत्व में पिछले 5 महीनो से दादरी व् जुलना के किसान अपनी ज़मीन के उचित मुआवज़े की मांग को लेकर धरने पर बैठे है। आंदोलन का मुख्य मुद्दा यह है की दादरी के 17 व् जुलना के 7 गाँवों के मार्किट मूल्य तय करने में अधिकारियों द्वारा गलतिया की गई है जिसके कारण किसानो को उचित मुआवज़ा नहीं मिल रहा है।
लम्बे चले संगर्ष के बाद आखिरकार 12 जून को हुई उच्च स्तरीय मीटिंग में सरकार ने मार्किट मूल्य निर्धारण में हुई अपनी गलती को सुधरने के लिए अवार्ड में संशोधन करने पर सहमति दे दी थी। रमेश दलाल का कहना है की उन्हें उम्मीद है की 2-3 दिन में संशोदित अवार्ड की घोषणा हो जाएगी तथा किसानो को नए मार्किट मूल्य के आधार पर ज़मीन का मुआवज़ा मिलेगा।
रमेश दलाल ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान यह बात संज्ञान में आई है की अधिकारियो ने मार्किट मूल्य निर्धारण में अपनी कानूनी व् मौलिक जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभाया। कानून के अनुसार ज़मीन अधिग्रहण से पहले रेट को रीवाइज़ करना अनिवार्य है लेकिन अधिकारियों ने आठों ज़िलों में, जहाँ से 152 डी गुज़रेगा, यह कार्य ठीक से नहीं किया है। रमेश दलाल ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि हम यह नहीं कहते की सब जगह मुआवज़ा कम दिया गया है, हम सिर्फ इतना कह रहे है की जहाँ भी अधिकारियों की गलती के कारण किसानो को मुआवज़ा कम मिल रहा है, वहां सरकार को किसानो के साथ न्याय करना चाहिए।
रमेश दलाल ने बताया की राष्ट्रिय राजमार्ग के लिए ज़मीन अधिग्रहण से सम्बंधित कानून ने अनुसार, मार्किट मूल्य तथा मुआवज़ा निर्धारण करने की शक्ति जिला उपायुक्त के पास है तथा वह कलेक्टर रेट को आधार मान कर मार्किट मूल्य निर्धारित करते है। रमेश दलाल का कहना है कि पिछले 10 सालो में हरियाणा में कलेक्टर रेट में बहुत बड़ी गड़बड़ी हुई है। इसके कारण, जहाँ एक तरफ सरकार को स्टाम्प ड्यूटी के रूप में हज़ारो करोड़ का नुक्सान हुआ है, वही किसानो को भी ज़मीन अधिग्रहण में अपनी ज़मीन का उचित मुआवज़ा नहीं मिल पाया है। रमेश दलाल ने बताया की इस मुद्दे के लाइमलाइट में आने से सरकार जागरूक हुई और सरकार ने दो दिन पहले सभी आठों ज़िलों के उपायुक्तों को बुला कर आदेश दिए है कि जहाँ भी मार्किट मूल्य निर्धारण में गलती हुई है उसकी रिपोर्ट सरकार को सौपे। विश्वस्त सूत्रों का हवाला देते हुए रमेश दलाल ने कहा कि इन गलतियों को सुधरने के लिए सरकार द्वारा प्रयास शुरू हो गए है। दादरी व् जुलना किसान आंदोलन ने सरकार को जगाने का काम किया तथा अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर स्वयं इस मामले में रूचि ले रहे है तथा न सिर्फ दादरी व् जुलाना के कुल 24 गाँव, बल्कि आठों ज़िलों में जहाँ भी मार्किट मूल्य निर्धारण में गलतियों हुई है, उनको ठीक करने के लिए सक्रीय हो गए है। रमेश दलाल ने सरकार द्वारा लिए गए अवार्ड संशोधन के फैसला को किसान आंदोलन की बड़ी जीत बताया तथा दावा किया कि इस फैसले से देश भर के किसानो को लाभ मिलेगा क्योकि जहाँ भी गलत अवार्ड घोषित होंगे वहाँ पर सरकार के इस फैसले का हवाला दे कर अवार्ड में संशोधन किया जा सकेगा।
रमेश दलाल ने बताया की अब से पहले किसानो को करोडो रुपया कानूनी प्रक्रिया में फंसा हुआ है क्योकि अब से पहले सरकार अवार्ड में गलती होने के बावजूद अवार्ड में संशोधन नहीं करती थी तथा किसानो को विवश हो कर आर्बिट्रेशन में जाना पड़ता था, जहाँ पर सालों तक मामला लटका रहता है। रमेश दलाल ने रोहतक ज़िले के सुंदरपुर गाँव का उदहारण देते हुए बताया कि सुंदरपुर गाँव का 2013 में अवार्ड हुआ था। अवार्ड में गलती होने के बावजूद भी संशोधन नहीं किया गया तथा अभी तक मामला आर्बिट्रेशन में फंसा हुआ है। इस सन्दर्भ में रमेश दलाल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि पिछले 10 साल में जहाँ भी ज़मीन अधिग्रहण का मामला लंबित पड़ा है, उन्हें भी जल्द से जल्द निपटाया जाये ताकि उनको भी न्याय मिल सके।