बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
न्याय के इंतज़ार में पिछले 16 दिन से धरने पर बैठे छारा गांव के किसानों का मनोबल व धैर्य सराहनीय है। रमेश दलाल के नेतृत्व में किसान शांतिपूर्वक तरीके से अपने आंदोलन को आगे बढ़ा रहे है। रमेश दलाल का कहना है कि आंदोलन को गांधीवादी शैली से चलाया जा रहा व अधिकारियों से मिल कर कानूनी दस्तावेज़ों व तर्कों के आधार पर उचित मुआवज़े की मांग रखी गई है। सरकार पर भी आंदोलन का असर दिखा व सरकार ने ज़मीन अधिग्रहण के मुआवज़े में सुधार के लिए अधिकारियों की समिति बना दी है। बताया जा रहा है समिति को दो दिन के अंदर अपना जवाब उच्च अधिकारियों को सौपना है। जहां एक तरफ किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनके साथ न्याय करेगी वही दूसरी तरफ वह किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए भी तैयार हैं। किसानों ने रविवार को महापंचायत कर सरकार को 22 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया था।
इस पूरे आंदोलन में गांव देहात के बीच भाईचारे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। न सिर्फ हरियाणा बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से किसानों के संगठनों व गांवो ने छारा गांव का समर्थन किया है। रमेश दलाल ने बताया कि अब तक आंदोलन को 880 गांवो का समर्थन मिल चुका है। हर रोज़ बड़ी संख्या में लोग समर्थन करने के लिए धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं।
धरने के 16वे दिन भी किसान पूरी मज़बूती से धरनास्थल पर डटे हुए व आगे की तैयारियों में जुट गए है। गौरतलब है कि सरकार से न्याय ना मिलने की स्थिति में किसान बड़ा कदम उठा सकते है। रविवार की महापंचायत में पहले ही ऐलान किया जा चुका है कि अगर सरकार ने छारा गांव के किसानों के साथ न्याय नही किया तो आंदोलन के नेता रमेश दलाल भूख हड़ताल पर बैठेंगे व बाद में जरूरत पड़ने पर किसान 28 फरवरी से रोहतक- दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग, दिल्ली-भटिंडा रेल व गुरुग्राम नहर को रोक सकते है। महापंचायत ने रेल को रोकने की जिम्मेदारी जखौदा व आसौदा गांव को दी थी। इसी सिलसिले में रमेश दलाल ने आज जाखौदा व आसौदा गांव का दौरा किया व लोगो को इक्कठा कर आगे की रणनीति पर चर्चा की। जाखौदा व आसौदा गांव ने एक स्वर में भरोसा दिलाया कि हम हर कदम पर छारा गांव के साथ खड़े है।
फ़ोटो: जाखौदा व आसौदा गांव में आगे की रणनीति पर चर्चा करते हुए।