बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
वैश्य आर्य कन्या महाविद्यालय में हिंदी विभाग के अंतर्गत ‘वैश्वीकरण में हिंदी के बढते चरण’ विषय पर विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया। हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ. मनजीत ने जानकारी देते हुए बताया हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आज महाविद्यालय में कुमारी तनुजा, दीक्षा ने काव्य पाठ व दीक्षा ने नृत्य प्रस्तुत करके जहां हिन्दी भाषा के प्रति सम्मान व भावाभिव्यक्ति प्रस्तुत की वहीं अन्य छात्राओं ने महाविद्यालय परिसर में हिंदी भाषा के महत्व से संबंधित स्लोगन लगाकर छात्राओं को जागरूक किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ. राजवंती शर्मा जी ने की उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है और इस भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने की अपेक्षा इस दिन को हमें अपनी भाषा के सम्मान में एक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। आज हिन्दी बोलने में लोग झिझक महसूस करते हैं और अक्सर लोगों को यह कहते सुना जाता है कि हमारे बच्चों को हिन्दी नहीं आती। जिस देश की राष्ट्र भाषा हिन्दी है उन लोगों की हिंदी के प्रति अनभिज्ञता गर्व का विषय न होकर शर्म का विषय है।यदि हम अपनी भाषा को सम्मान देते हुए उसके अलावा और भाषाएं भी सीखें तो अच्छा है मगर उसे दरकिनार करना गलत है।
कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में पधारी डाॅ.कृष्णा जून(प्रोफेसर हिंदी विभाग,म.द.वि.रोहतक)ने ‘ वैश्वीकरण में हिन्दी के बढते चरण ‘विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में जहां आज हिंदी की अपेक्षा अंग्रेज़ी को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है वहीं विदेशों में हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार तेजी से बढा है और आज विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी दूसरे नम्बर पर है।विश्व स्तर पर हिंदी के बढते रूझान को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगले कुछ दशकों में अंग्रेज़ी को पछाड़ कर हिंदी प्रथम स्थान पा जाएगी।
डाॅ. मनजीत ने हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज व्यापारिक क्षेत्रों में बढती प्रतिस्पर्द्धा ने हिंदी के प्रसार प्रचार में अहम भूमिका अदा की है।विदेशी कम्पनियां भी अपनी वस्तुओं के प्रचार हेतु हिंदी भाषा का सहारा लेती हैं आज हिंदी एक मामूली भाषा न रहकर विश्व के भाल की बिंदी बनने की ओर अग्रसर है।
इस अवसर पर हिंदी प्राध्यापिका पिंक ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि भाषा प्रतिभा का आकलन नहीं है वो केवल भावाभिव्यक्ति का साधन है जरूरी नहीं है कि अंग्रेजी बोलने वाला व्यक्ति विद्वान और हिंदी बोलने वाला व्यक्ति साधारण हो। अतः हमें अपनी भाषा बोलने में गर्व महसूस करना चाहिए।
कार्यक्रम में मंच संचालन विभागाध्यक्ष डाॅ. मनजीत ने किया।


