बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
स्थानीय राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस के अवसर पर उपमंडल विधिक सेवा समिति के तत्वाधान में विशेष कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन नेक्स्ट प्रीजांडिंग ऑफिसर सिविल जज जूनियर डिवीजन एवं उपमंडल विधिक सेवाएं समिति की चेयर पर्सन मानसी धीमान के दिशा निर्देशानुसार किया गया। कार्यक्रम संयोजक श्रीकृष्ण दहिया वर्ग अनुदेशक ने बताया कि संस्थान के प्राचार्य सत्यभूषण शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस विशेष जागरूकता शिविर में उपमंडल विधिक सेवाएं समिति के सदस्य सत्येंद्र दहिया ने मुख्य वक्ता तथा लेबर इंस्पेक्टर बलजीत मलिक एवं असिस्टेंट सुमेर सिंह तथा समाज सेवी संजीव शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रुप में शिरकत की। समिति सदस्य सत्येंद्र दहिया ने संस्थान के सभागार में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस प्रतिवर्ष 12 जून को संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है। विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस को मनाने का अभिप्राय पूरे विश्व को बाल श्रम के विरुद्ध जागृत करना एवं बच्चों को बाल मजदूरी से बचाना है। विश्व के करोड़ों लड़के और लड़कियां समाज की इस बुराई से ग्रसित हैं । उन्होंने कहा कि बाल श्रम एक अभिशाप है जिसे शिक्षा के माध्यम से दूर किया जा सकता हैं।बच्चों से बाल श्रम न करवा कर उन को शिक्षित करना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए उन्होंने संस्थान के प्रशिक्षुओं से इस सामाजिक बुराई को जड़मूल से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। उन्होंने संस्थान के प्रशिक्षुओं को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों,जन कल्याणकारी योजनाओं तथा नालसा एवं हालसा की स्कीमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सेमिनार में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित लेबर इंस्पेक्टर बलजीत मलिक ने कहा कि औद्योगिक अधिनियम 1986 के अनुसार किसी भी उद्योग में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का रोजगार प्रतिबंधित है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कार्य पर लगाना दंडनीय अपराध हैं। दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 20,000 से 50000 रूपयों तक का जुर्माना या 6 माह से 2 वर्ष तक का कारावास या दोनो हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग द्वारा 12 जून से 18 जून तक बाल श्रम के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है ।उन्होंने सभागार में उपस्थित सभी लोगों से अपील की यदि आपको कोई बाल श्रमिक किसी भी जगह कार्य करता हुआ दिखाई दे तो इसकी श्रम विभाग को तुरंत सूचना दें। समाजसेवी संजीव शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार बाल श्रमिकों में समय से पूर्व प्रौढ़ जीवन बिता रहे बच्चे,उनके स्वास्थ्य और उनके बौद्धिक तथा मानसिक विकास को क्षति पहुंचाने वाली परिस्थितियों में कम मजदूरी के लिए लंबे समय तक कार्य कर रहे बच्चे शामिल हैं। उन्हें प्राय उनके परिवारों से अलग रखा जाता है तथा उन्हें उस लाभप्रद शिक्षा तथा प्रशिक्षण अवसरों से वंचित किया जाता है, जो उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान कर सकते हैं। अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्थान के प्राचार्य सत्यभूषण शर्मा ने कहा कि बड़ी-बड़ी बातें बड़े-बड़े नारे लगाने के बाद भी बाल श्रमिकों की हालत आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी। भारत समेत लगभग सभी विकासशील देशों और यहां तक कि विकसित देशों में भी आपको बाल श्रम देखने को मिलेगा। इन बच्चों को चंद पैसा देकर उनके मालिक इनसे जरूरत से ज्यादा काम कराते हैं। कम पैसे में यह बच्चें अच्छा काम कर देते हैं और ज्यादा आवाज भी नहीं उठाते। यही वजह है कि ऐसे कारखानों के मालिक बच्चों को शोषित करने का कोई भी मौका नहीं गंवाते ।इसको रोक लगाने के लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि श्रम विभाग अगर कड़ाई से कानून का पालन कराएं और श्रम कराने वाले अभिभावकों व काम लेने वाले मालिकों को समझाने का जागरूकता अभियान छेड़ दें तो निश्चित तौर पर इस के अच्छे परिणाम आएंगे। कार्यक्रम संयोजक श्रीकृष्ण दहिया ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद किया। उन्होंने भी इस सामाजिक बुराई को जड़ मूल से खत्म करने के लिए संस्थान के छात्र छात्राओं को आगे आने के लिए कहा। इस अवसर पर श्रम विभाग से असिस्टेंट सुमेर सिंह, पवन कुमार सहित संस्थान का पूरा स्टाफ मौजूद रहा।
