बहादुरगढ़ आज तक, विनोद कुमार
सेक्टर 2 के पश्चिमी हिस्से( मामन विहार के सामने वाले हिस्से) के खाली क्षेत्र में कई खाली प्लाटों में गोबर, मरे जानवर व गंदगी डालने व दिनभर पशुओं को सेक्टर में चरने के लिए खुला छोड़ने के कारण यहां से निकलना भी कठिन रहता है। स्थानीय निवासियों मनोज यादव, एडवोकेट विनय गोयल, वीरेंद्र बेनीवाल, प्रो० जगदीश राहर, सदासुख, पन्नालाल व दयाराम प्रजापत आदि ने बताया कि ऐसे दूषित वातावरण में स्थानीय निवासियों का रहना व सांस लेना भी दूभर हो गया है। उन्होंने बताया कि लोग देर रात को या सुबह सवेरे खाली प्लाटो या ग्रीन बेल्ट में गोबर से भरी ट्रालियां खाली कर जाते हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा हो जिस दिन सेक्टर-2 में मरा हुआ जानवर ना फैका जाता हो। शिकारी पशुओं द्वारा नोचने से इन मरे हुए जानवरों की दुर्गन्ध दूर-दूर तक फैल जाती है। बहादुरगढ़ का पाश एरिया कहे जाने वाले सेक्टर-2 के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्होंने कई बार इन लोगों को मरे हुए जानवर, गोबर व गंदगी सेक्टर-2 में डालने से रोकने का प्रयास किया लेकिन ऐसा करने पर ये लोग उल्टा सेक्टर निवासियों से ही लड़ने लग जाते हैं। सेक्टर निवासियों ने पुलिस को भी शिकायत की, पी.एम. पोर्टल पर भी शिकायत की लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। ज़वाब में निर्देश देने का भी कोई असर नही। डिवेलपमेंट एंड डेमोक्रेटिक फ्रंट सेक्टर-2 के अध्यक्ष डी.पी. दहिया ने कुछ स्थानीय लोगों के साथ एसडीएम बहादुरगढ़ को भी लिखित शिकायत दी है।
ग्रीन बेल्ट नही बनने के चलते खाली पड़ी जमीन पर अवैध कब्जों की भी शुरुआत हो चुकी है। स्थानीय लोगों को चिंता है कि अगर ग्रीन बेल्ट की जमीन पर जल्द ही पौधे लगाकर प्रशासन ने अपने कब्जे में नहीं लिया तो कुछ दिनों में ग्रीन बेल्ट की अधिकतर जमीन अवैध कब्जों की भेंट चढ़ जाएगी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछली आरडब्लूए के अध्यक्ष सुनील बराही ने भी काफी प्रयास किए थे लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। नई आरडब्लूए प्रधान प्रदीप कौशिक से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि आरडब्लूए सेक्टर-2 की इस समस्या के बारे में अनेक अधिकारियों को लिखित एवं मौखिक रूप से अवगत करवा चुकी है। उन्होंने बताया कि वे ग्रीन बेल्ट को विकसित करने के बारे में कई बार हुड्डा विभाग को सूचित कर चुके हैं, लेकिन विभाग कभी बजट का या फिर कोई अन्य बहाना करके टालमटोल कर देता हैं। कौशिक ने बताया कि डेयरी मालिकों द्वारा मरे जानवरों व गोबर डालने की शिकायत भी कई बार नगर परिषद को कर चुके हैं लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।






